Tally Prime Ledgers Under Group List in Hindi – दोस्तो जैसा की आपको पता होगा की Tally एक Accounting Software है| जिसमे आप अपने व्यवसाय का हिसाब किताब करते है| लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले टैली मे कंपनी बनाना होता है और उसके बाद ठीक प्रकार से Ledger बनाना होता है और Ledger के लिए सही Group का निर्धारण करना होता है| क्यूकी यदि आपने Ledger के लिए सही Group सिलेक्ट नही किया है तो Tally आपको गलत परिणाम दिखा सकता है|
आज हम Tally के इसी समस्या के बारे मे बात करेंगे| जिसके कारण बहुत से नए यूजर का Tally मे Trading Account, Profit & Loss Account और Balance Sheet का परिणाम ठीक तरह से नही दिखाता है| क्यूकी वे Ledger के सही Group को सिलेक्ट नही किए रहते है| तो चलिये अब हम Tally के उन सभी Groups के बारे मे जानते है की कौन सा Ledger किस Group मे आएगा|
Tally Ledgers Under Group List in Hindi ?
Tally Ledgers Under Group List in Hindi ?
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Tally Ledgers Under Group List in Hindi ?
- Bank Accounts – Bank Account Group मे सभी बैंक के खातो को शामिल किया जाता है| मगर Bank Loan अकाउंट को इसमे शामिल नही किया जाता है| जैसे – HDFC Bank A/c, SBI Bank A/c इत्यादि|
- Bank OCC A/c – Bank OCC A/c यानि Bank Open Cash Credit Account Group मे Bank Loan अकाउंट को शामिल किया जाता है| यानि यदि आपने किसी बैंक से लोन लिया है तो उस खाते को आप इस Group मे शामिल कर सकते है| जैसे – HDFC Bank Loan A/c, SBI Bank Loan A/c इत्यादि|
- Bank OD A/c – Bank OD A/c यानि Bank Overdraft A/c Group मे सभी Bank Overdraft अकाउंट को शामिल किया जाता है| यानि आपने किसी बैंक से Overdraft लिया है तो इस Group मे शामिल कर सकते है| जैसे – HDFC Bank OD A/c, SBI Bank OD A/c इत्यादि|
- Branch/Divisions – यदि आपके कंपनी का एक से ज्यादा ब्रांच है और उन सभी ब्रांच का हिसाब किताब एक ही जगह रखा जाता है तो आप उन सभी Branch/Divisions से संबन्धित खातो को इस Group मे शामिल कर सकते है| जैसे – ABC Pvt. Ltd. Gopalganj, ABC Pvt. Ltd. Bettiah इत्यादि|
- Capital Account – Capital Account Group मे कंपनी के मालिक के खातो को शामिल किया जाता है| जैसे यदि कंपनी के मालिक का नाम है Hari Singh तो Hari Singh Capital A/c का लेजर इस ग्रुप मे शामिल किया जाएगा|
- Cash-in-Hand – Cash in Hand Group मे Cash के Ledger को शामिल किया जाता है| हालाकी Cash का लेजर पहले से ही Tally मे बाय डिफ़ाल्ट बना होता है| मगर आपको Cash से संबन्धित और भी लेजर को बनाना हो तो आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Cash Gopalganj, Cash Siwan, Petty Cash A/c इत्यादि|
- Current Assets – Current Assets Group मे उन सभी संपत्तियां (Assets) को शामिल किया जाता है जिसे आसानी से Cash मे बदला जा सकता है| यानि यदि आपने किसी कंपनी या व्यक्ति को एडवांस मे कोई पेमेंट किया है तो उसे आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Advance Salary, Prepaid Rent, Prepaid Insurance Charge इत्यादि|
- Current Liabilities – Current Liabilities Group मे उन देनदारियों (Liabilities) को शामिल किया जाता है यदि आपने किसी कंपनी या व्यक्ति से एडवांस पेमेंट प्राप्त किया है या कोई कंपनी का expense है| जिसका आपको पेमेंट करना है तो इन सभी प्रकार के देनदारियों को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – GST Payable, Bill Payable, Salary Payable इत्यादि|
- Deposits (Asset) – Deposits (Asset) Group मे उन सभी Fix Deposits या Investment को शामिल कर सकते है जो की आपने अपने व्यवसाय के लिए किया है और आपको पता है की यह इतने साल के बाद Fix Deposit पूरा होगा| इन सभी प्रकार के लेजर को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Office Rent Deposit, Security Deposit इत्यादि|
- Direct Expenses – Direct Expenses Group मे उन सभी प्रकार के खर्चो को शामिल किया जाता है जिसका सीधा संबंध वस्तुओ के खरीदने मे या वस्तुओ के उत्पाद करने से होता है उन सभी खर्चो (Expense) को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Freight Charge, Transport Expense, Wedges Expense इत्यादि|
- Direct Incomes – Direct Incomes Group मे उन सभी आय को शामिल किया जाता है जो की उस व्यवसाय के प्रत्यक्ष आय से संबन्धित हो| अर्थात आपका व्यवसाय माल (Goods) को खरीद के या उत्पाद करके Sale करना है| तो उस Sale से आपको जो भी आय होगा उसे हम इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Freight Charge Income, Income From Service इत्यादि|
- Duties & Taxes – Duties & Taxes Group मे व्यवसाय से संबन्धित सभी प्रकार के Tax को शामिल किया जाता है| जैसे – Input IGST, Input CGST, Input SGST, Output IGST, Output CGST, Output SGST, TDS, Vat Payable इत्यादि|
- Expenses (Direct) – Expenses (Direct) Group मे उन सभी प्रकार के खर्चो को शामिल किया जाता है जिसका सीधा संबंध वस्तुओ के खरीदने मे या वस्तुओ के उत्पाद करने से होता है उन सभी खर्चो (Expense) को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Freight Charge, Transport Expense, Wedges Expense इत्यादि|
- Expenses (Indirect) – Expenses (Indirect) Group मे उन सभी प्रकार के खर्चो को शामिल किया जाता है जिसका सीधा संबंध वस्तुओ के खरीदने मे या वस्तुओ के उत्पाद करने से नही होता है उन सभी खर्चो (Expense) को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Salary, Office Rent, Audit Fee, Office Expense, Bank Charge इत्यादि|
- Fixed Assets – Fixed Assets Group मे व्यवसाय के सभी स्थायी संपत्तियां को शामिल किया जाता है| स्थायी संपत्तियां व्यवसाय के संचालन मे सहायक होते है| जैसे – Building, Land, Computer, Furniture इत्यादि|
- Income (Direct) – Incomes (Direct) Group मे उन सभी आय को शामिल किया जाता है जो की उस व्यवसाय के प्रत्यक्ष आय से संबन्धित हो| अर्थात आपका व्यवसाय माल (Goods) को खरीद के या उत्पाद करके Sale करना है| तो उस Sale से आपको जो भी आय होगा उसे हम इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Freight Charge Income, Income From Service इत्यादि|
- Income (Indirect) – Incomes (Indirect) Group मे उन सभी आय को शामिल किया जाता है जो की उस व्यवसाय के अप्रत्यक्ष आय से संबन्धित हो| अर्थात इसका सीधा संबंध माल की विक्री या उत्पाद से नही होता है| जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale इत्यादि|
- Indirect Expenses – Indirect Expenses Group मे उन सभी प्रकार के खर्चो को शामिल किया जाता है जिसका सीधा संबंध वस्तुओ के खरीदने मे या वस्तुओ के उत्पाद करने से नही होता है उन सभी खर्चो (Expense) को आप इस ग्रुप मे शामिल कर सकते है| जैसे – Salary, Office Rent, Audit Fee, Office Expense, Bank Charge इत्यादि|
- Indirect Incomes – Indirect Incomes Group मे उन सभी आय को शामिल किया जाता है जो की उस व्यवसाय के अप्रत्यक्ष आय से संबन्धित हो| अर्थात इसका सीधा संबंध माल की विक्री या उत्पाद से नही होता है| जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale इत्यादि|
- Investment – यदि आपने व्यवसाय मे लंबे समय के लिए कोई निवेश किया है और आपको पता ही नही होता की इस निवेश से Profit होगा या Loss. तो ऐसे निवेश (Investment) के खातो को Investment Group मे शामिल करते है| जैसे – Investment in Share, Long term investment, Short term investment, Mutual Fund इत्यादि|
- Loan & Advances (Asset) – यदि आपने व्यवसाय मे किसी को Advance Payment या Loan दिया है तो ऐसे खातो को Loan & Advance (Asset) Group मे शामिल करते है| जैसे – Loan Give to Friends, Relatives and Company इत्यादि|
- Loans (Liability) – यदि आपने व्यवसाय मे किसी से Advance Payment या Loan लिया है तो ऐसे खातो को Loans (Liability) Group मे शामिल करते है| जैसे – Loan From Outside Party इत्यादि|
- Misc. Expenses (Asset) – Misc. Expenses (Asset) Group मे हम उन सभी Doubtful खर्चे को शामिल करते है जिसका पेमेंट हमे बाद मे करना पड सकता है| जैसे Preliminary Expenses, Not Yet Written off इत्यादि|
- Provisions – Provisions Group मे उन सभी खातो को शामिल किया जाता है जिसका भुगतान हमे भविष्य मे करना होता है| जैसे – TDS Payable, Audit Fees Payable इत्यादि|
- Purchase Accounts – Purchase Account Group मे ऐसे खातो को शामिल किया जाता है जो की व्यवसाय मे माल (Goods) खरीदी से संबन्धित होते है| खरीद वापसी (Purchase Return) के खातो को भी इस ग्रुप मे शामिल किया जाता है| जैसे – Purchase Intra State, Purchase Inter State, Purchase (Composition), Purchase Exempt इत्यादि|
- Reserves & Surplus – वो पूंजी जो व्यवसाय को बेहतर बनाने के लिए और Secure Future के लिए बचाके रखी जाती है जो व्यवसाय के बुरे वक्त मे काम आती है| तो इस प्रकार से संबन्धित खातो को Reserves & Surplus Group मे शामिल करते है| जैसे General Reserves, Capital Reserve, Share Premium A/c, All Type Reserve इत्यादि|
- Retained Earnings – आपके व्यवसाय मे जो earnings होती है और उन earnings मे से आप कुछ हिस्सा बचाके भविष्य के लिए रख लेते है की बाद मे आपको कंपनी मे कोई पैसे की जरूरत पड़े तो आप इसमे से निकाल के कंपनी मे लगा सके| तो इन प्रकार के ledger को Retained Earnings Group मे शामिल करते है| जैसे – General Reserve, Share Premium, Any other Reserve and Investment
- Sales Accounts – Sales Accounts Group मे उन खातो को शामिल किया जाता है जिसका संबंध माल (Goods) की विक्री से हो| विक्री वापसी (Sales Return) के खातो को भी इस ग्रुप मे शामिल किया जाता है| जैसे – Sales Intra State, Sales Inter State, Sales (Composition), Sales Exempt इत्यादि|
- Secured Loans – यदि आपने व्यवसाय मे कोई Loan लिया है Bank को छोड़कर जिसमे कोई Security रखना होती है| तो उन सभी खातो को Secured Loans Group मे शामिल करते है| जैसे – Motor Finance Loan, Gold Loan इत्यादि|
- Stock-in-Hand – Stock in Hand Group मे Stock से संबन्धित खातो को शामिल किया जाता है| जैसे Opening Stock, Closing Stock, Consignment Stock इत्यादि|
- Sundry Creditors – यदि आपने किसी कंपनी या व्यक्ति से उधार पर माल (Goods) खरीदा है और उन्हे हमे पैसे देने होते है| तो उन सभी कंपनी या व्यक्ति के खातो को हम Sundry Creditors Group मे शामिल करते है|
- Sundry Debtors – यदि आपने किसी कंपनी या व्यक्ति से उधार पर माल (Goods) बेचा है और उनसे हमे पैसे पाने होते है| तो उन सभी कंपनी या व्यक्ति के खातो को हम Sundry Debtors Group मे शामिल करते है|
- Suspense Account – Suspense Account Group मे हम ऐसे खातो (Ledgers) को शामिल करते है जिसके बारे मे हमे पता नही होता है|
- Unsecured Loans – यदि व्यवसाय मे आपने किसी दोस्त या रिस्तेदार से लोन लिया है तो ऐसे लोन को Unsecured Loans Group मे शामिल करते है|
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पोस्ट से संबन्धित सारांश :-
आज हमने इस पोस्ट मे सीखा की Tally Prime मे Ledger को Create करते समय Under Group का निर्धारण कैसे करे| हम उम्मीद करते है की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा| यदि यह पोस्ट आपको पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे, जिससे उनको भी यह जानकारी प्राप्त हो सके|